Wednesday, December 14, 2011

अन्ना हजारे बनाम लोकनायक



लोकपाल बिल का मुद्दा अपनी जगह है ,उसे इतना महत्त्वपूर्ण बनाने वाले अन्ना हजारे ही लोकनायक क्यूँ ? ऐसा क्या है जो लोग उन्हें इतना मान दे रहे हैं ? क्यूँ अन्ना को गांधीजी के समकक्ष माना जा रहा है ?आज अन्ना के एक इशारे पर देश की जनता कुछ भी करने को तैयार है ,देश का युवा जिसे हमेशा किसी न किसी बहाने से कोसा जाता है. कभी आधुनिकता के नाम पर ,कभी पश्चिमि संस्कृति के पिछलग्गू बनने के नाम पर,आज उसी युवा ने अपने अंदाज़ में ,अपने आधुनिक संसाधनों से अन्ना का समर्थन कर, देश के प्रति अपने प्रेम और अपने देश के लोगों के प्रति अपने आदर का परिचय दिया है . जहाँ वह दिन भर कानों में हेडफोन लगाए गाने सुनता हुआ दिखाई देता है वहीं फेसबुक पर अन्ना को ,उनके विचारों को अपलोड कर उसे शेअर करता है .आलोचकों का अपना नजरिया हो सकता है इसे भेड़चाल या एक लहर का नाम भले ही दें ,पर इसके मूल में कहीं गहरे पैठी इस भावना -(लोकनायक का आमजन के बीच रहकर कार्य करना और उससे प्रेरित होकर कार्य को अंजाम देना ) से इनकार नहीं किया जा सकता . .भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक पहलू नज़र डाले तो हम पाते हैं कि हमारे अधिकांश लोकनायक चाहे वह राम हों जिन्होनें राजवैभव त्याग कर वनवास जाना स्वीकार किया ,आम जनों की सहायता से रावण को मारा ,चाहे या फिर कृष्ण हों जो जेल में जन्में और ग्वालों के बीच रहे .महावीर ,बुद्ध जिनके लिए महल ,या धन दौलत जैसा कोई प्रलोभन जनमानस के बीच रहने से रोक न सका .ये सारे नायक विलासितापूर्ण जीवन जीते ,महलों का आनंद लेते तो अपनी वंशावली में नाम से ज्यादा स्थान नहीं पाते लेकिन ये जनमानस में अमर हो गए क्योंकि इन्होने जीवन में कठिन मार्ग चुना और आमजन के बीच रह कर उनकी छोटी बड़ी समस्याओं को हल किया.लोगों में आत्मविश्वास का संचार होने लगा जो कि जीवन के सफ़र में आते उतार चढाव में खो गया था आमजन नायक का अनुसरण करने लगे. धीरे -धीरे वे नायक से महानायक फिर लोकनायक बन गए. अन्ना ने रालेगन सिद्धि में यही तो किया बिना किसी महत्ता, अपेक्षा अपना काम नि:स्वार्थ भाव से किया और आज परिणाम सबके सामने है आज आम जनता ने उन्हें लोकनायक स्वीकार कर अपना आदर्श बना लिया उन्हें लोकनायक का दर्ज़ा दे कर उनके बताए रास्ते का अनुसरण करने लगे.
काश के हमारे लोकतंत्र में मोजूदा नेताओं में भी इसी तरह कार्य करने और जनता के साथ अपना सम्बन्ध सिर्फ चुनाव तक न सीमित रखकर जनता के साथ रह कर जनता के नायक फिर महानायक बन पाते तो जनता का राज जनता के लिए और जनता के द्वारा ही चलता .हम विश्व में वास्तविक लोकतंत्र का उदहारण प्रस्तुत कर सकते .

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