Thursday, December 24, 2009

बच्चों की परीक्षाओं की तैयारी भी देती है आनंद.


सर्दी ख़त्म होते-होते शादियों का मौसम भी ख़त्म हो जायेगा।बीतते साल की विदाई और नये साल के जश्न भी कुछ दिनों में थम ही जाएंग और एक नए मौसम की तैयारी शुरू हो जाएगी(वैसे तो मौसम चार ही होते हैं, लेकिन एक पाँचवा मौसम भी है जिसे व्यक्ति अपनी सोच से इंज्वाय करता है, जैसे प्यार का मौसम, चुनाव का मौसम, शादियों का मौसम) लेकिन किसी गृहिणी के लिये नज़दीक आ रहा बच्चों की परीक्षाओं का मौसम एक कठित परीक्षा से कम नहीं होता.निसन्देह यह मौसम अन्य मौसमों की बनिस्बत कुछ तनावपूर्ण होता है.लेकिन यह भी सच है कि इस तनाव को टाल कर बाक़ी मौसमों तरह ख़ुशगवार बनाया जा सकता है। इसके लिये कुछ पूर्व तैयारियाँ आवश्यक हैं । बच्चों को सबसे ज़्यादा हिदायतें भी मम्मियों की तरफ़ से ही मिलती है। जैसे सर्दी आने पर ऊनी कपड़ों की सार-सम्हाल शुरू हो जाती है। बारिश में रेनकोट, छतरी बाहर आ जाते हैं। गरमा-गरम पकोड़ों का आनंद लिया जाता है। वैसे ही आनंद हम परीक्षा के दिनों में भी ले सकते हैं।

-परीक्षा की तारीख़ तो निश्चित ही रहती है, वह कोई बिन बुलाया मेहमान तो नहीं कि अचानक आ जाता हो। बच्चें किसी भी उम्र के हों परीक्षा तो सबके लिए एक जैसी है। आप तो जहॉं तक संभव हो बाज़ार के कार्य, ग़ैर ज़रूरी काम इन दिनों न करें।
-मित्रों को पहले से ही सूचित कर दें कि इन दिनों आप फ़ोन पर गॉसिप नहीं कर पायेंगी। माहौल को हल्का-फ़ुल्का बना कर रखें।
-बच्चों के स्कूल कॉलेज से आने के पहले ही घर के कार्य समाप्त करने की हरसंभव कोशिश करें,ताकि बच्चों के साथ आप समय बिता सकें उनकी मदद कर सकें।

-बच्चों को समझाएं कि जैसे पढ़ाई ज़ितनी ज़रूरी है,शारीरिक व्यायाम,खेल और नींद भी उतनी ही ज़रूरी है.

-छोटे बच्चें हों तो उनके लिए विषय से संबंधित तारानुमा कार्ड तैयार करें। उन पर व्याकरण, फ़ार्मूले आदि लिखे जा सकते हैं। खेल-खेल में रिविज़न हो सकता है।

-बच्चों को संतुलित आहार देने की चेष्टा करें.बदलाव के तौर पर ऐसी चीज़ें बनाकर दें जिनसे पेट भी भरता हो लेकिन जो ज़्यादा गरिष्ठ भी न होतीं हों.बच्चों को इन दिनों में जंक फ़ूड या बाहर के खाने से दूर रखें.गर्मियाँ आते ही बच्चों को फ़लों की रस,ठंडाई और लस्सी जैसी चीज़ों का सेवन करवाएं.

-यदि किसी वजह से बच्चे की तैयारी में कोई कमी रह गई है तो उसके दोस्त बनकर उसे समाधान देने की चेष्टा करें.यदि उसकी ट्यूटर के यहाँ जाने और किसी मित्र से बातचीत करने से कोई रास्ता निकल सकता है तो ज़रूर निकालें.कोशिश करें कि अपने बच्चे की तैयारी के बारे में उसके निकट मित्रों से भी चर्चा करते रहें उनके फ़ोन/मोबाइल नम्बर्स आपके पास पहले से नोट करके रखें.

-पतिदेव को कहें कि इम्तेहान की तैयारी के दिनों में ज़्यादा से ज़्यादा समय परिवार के साथ बिताने की चेष्टा करें. घर में इन दिनों में टीवी/मोबाइल/फ़ोन का कम से कम उपयोग करें.पति-पत्नी दोनों मिलकर इन दिनों सामाजिक प्रसंगों और पार्टीज़ को टालें.

-बच्चों को यह अवश्य समझाएँ कि परिणाम से महत्वपूर्ण प्रयास है ईमानदारी के साथ की गई मेहनत का सफल होती है और मेहनत का फ़ल हमेशा ही मीठा होता है। कहीं पढ़ा है "सफलता से ज़्यादा मायने इस बात के हैं कि आप असफल होने पर भी हार नहीं मानते हैं और सफल होने की कोशिश में पुनः लग जाते हैं।

और आख़िर में एक ख़ास बात....बच्चा अच्छा परिणाम तब ही देता है जब वह साल भर पढ़ाई करता हो. ऐन इम्तेहानों के वक़्त पढ़ाई करने से पास तो हुआ जा सकता है श्रेष्ठता हासिल नहीं की जा सकती. लेकिन अब तो आपके पास समय शेष नहीं होता है . अत: नाहक तनाव निर्मित न होने दें और सीमित समय में बच्चा बिना अतिरिक्त तनाव लिये जो भी श्रेष्ठ कर सकता हो उसका प्रयास करें . उसके मित्र बनें,मनोबल बढ़ाएं,उसे हँसाएं और देखें कि आप भी इस काम का आनंद ले रहीं हैं ..और आपका प्यारा बेटा/बेटी भी.

3 comments:

  1. बोझ समझने से कभी भी पेपर अच्छे नही होते..उसके लिए तनाव रहित होना आवश्यक है..बढ़िया प्रसंग..धन्यवाद

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  2. बहुत माकूल बात कही आपने...किसी काम में अपने को झोंकना ही है तो प्रसन्नता से क्यों नहीं...बधाई...

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  3. बेहतर प्रयास है ,अच्छा लिख रही हैं
    जारी रहे
    नव वर्ष मुबारक

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