Monday, September 5, 2011

शिक्षक दिवस विशेष : नास्ति तत्वम गुरो: परम


गुरु महिमन स्त्रोत्र में कही गई उपरोक्त पंक्ति का अर्थ है गुरू से उपर संसार में कोई तत्व नहीं है.महापुरुष के जिस शब्द या वाक्य से जिन्दगी बदल जाए,बस वह शब्द और वाक्य ही गुरु मन्त्रहै ।गुरु अवश्य सही मार्ग दर्शन करते है ,बशर्ते हममें समर्पण भाव हो। शिक्षक की महिमा का वर्णन तो आदि ग्रंथों से चला आ रहा है लेकिन शिक्षक के प्रति, आदर, सम्मान, व्यक्त करनें में हम संकुचित होते जा रहे है। जो हमें शिक्षा दें, उसका आदर करने के साथ जिस किसी से हम कोई विद्या, हुनर सीखते हैं वह भी गुरु हैं तो शिक्षक दिवस पर उसका आदर करना चाहिये। बदले हुए समय में शिक्षा देने वाला व्यक्तित्व ही गुरू के रूप में भी पूजनीय है.

इंटरनेट की दुनिया ने शिक्षक का काम आधा कर दिया है लेकिन यह ज्ञानजाल हमें ज्ञान तो दे सकता है पर संस्कार नहीं,,,,उस अनुभव को हम कैसे पा सकेगें जो एक शिक्षक अनुभव से शिक्षा द्वारा अपनें शिष्यों तक पहुचांता है ? समय के साथ शिक्षा पद्धति में बद्लाव आया है इन्तजार है इस बदलाव के सकारात्मक परिणाम का. हम जानतें हैं कि भले ही हमारी भाषा मिश्रित हो जाए,चाहे आज की पीढी पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हो करवेलेंटाईन डेमनाती हो,,,,लेकिन भारतीय संस्कार जो उस पीढी के अन्तरमन में स्थापित है ही. उसी के चलते वह गणपति बप्पा को अपनें घर में विराजित भी करती है तो परीक्षा के पहले भगवान का आशीर्वाद लेना भी नहीं भुलती।

शिक्षक दिवस पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए सभी गुरु का अभिनन्दन करतें हुए अन्त में बदलाव की बानगी देखिये.टीचर कौन ? कक्षा में ऐसा पूछने पर नये ज़माने के एक बच्चें ने कुछ यूँ लिखा:

जैसे घर पर पैरेंट्स होते है वैसे लाइफ़ में एक टीचर जरुरी होता है.कोई हमारी गलतियां सुधारे,तो कोई हमें ढेर सारा होमवर्क दे कर हमारी हॉलिडेवेस्ट कराए,,तो कोई हमें पढा के हमें इनटेलिजेन्ट बनाएजैसे मोबाइल में सिम जरुरी होता है वैसे जीवन में सक्सेस के लिए टीचर जरुरी होता है.

बुद्धिजीवी वर्ग इसमें आलोचना ढूंढ सकता है पर आज बच्चा इंटरनेट और एडवरटाइज़िंग युग में जी रहा है. इसका प्रभाव उसके मानस पर पड़ना अवश्यंभावी है. वह तो शिक्षक और गुरू की व्याख्या ऐसे ही तो करेगा.जरुरी नहीं कि उसकी भाषा की शुध्दता हो या उसमें बात को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर अपनी अभिव्यक्ति दे.वह तो अपने परिवेश से मिली उपमाओं से ही शिक्षक को परिभाषित करेगा.महत्वपूर्ण बात है उसकी भावनाओं की पवित्रता.


शिक्षक दिवस उन सभी का वंदन और अभिनंदन जिनसे ज़िन्दगी को सलीक़ा,शब्द और भावनाओं को व्यक्त करने का माद्दा मिला.

3 comments:

  1. आपने वाक़ई पते की बात कही कि शिक्षक को नई पीढ़ी नये रूपकों और उपमाओं के नज़रिये देख रही है. सामयिक पोस्ट

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  2. shikshak diwas ka suawasar par saarthak prastuti ke liye aabhar..
    shikshak diwas kee aapko bhi haardik shubhkamnayen..

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