कहते हैं ममत्व की कोई सीमा नहीं होती. वह जीवन उत्सर्ग करके भी अपनी संतान के लिये एक ऐसी ज़मीन तैयार करना चाहती है जो बेमिसाल है,अनूठा है. स्त्री का माँ वाला स्वरूप इसलिये सबसे ज़्यादा आदरणीय है.माँ किस शिद्दत से अपने बच्चों को प्यार करती है उसे बयान करने के लिये यह घटना न केवल रोमांचकारी है बल्कि बेहद द्रवित करने वाली भी.
जापान के भूकम्प के बाद राहत कार्य जारी थे. राहतकर्मी मलबे के नीचे और इर्दगिर्द अपनी तलाश में लगे हुए थे. कोशिश थी कि कोई भी ऐसा न हो जो जाने-अनजाने जीवन से जूझ रहा हो और उसे बचाया न जा सके.पूरे जज़्बे और निष्ठा से अपने कार्य में संलग्न टीम के मुखिया की नज़र एक बड़ी दरार की ओर गई जिसके नीचे ऐसा लग रहा था जैसे कोई वहाँ है. संशय होने से टीम दरार में झाँक कर आगे बढ गई. क्योंकि उन्होंने जब नीचे झाँका तो देखा कि एक औरत ज़मीन पर घुटनो के बल वज्रासन में ऐसे बैठी है मानो कोई इबादत कर रहा हो .शरीर आगे की ओर झुका हुआ है. और उसने अपने दोनों हाथों से कोई चीज थाम रखी है .तहस-नहस हो चुके घर घर के मलबे में उस महिला का सिर और पीठ पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है. ज़िन्दगी की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी वहाँ.
फ़िर भी इत्मीनान कर लेने के लिय बहुत कठिनाई से उस बचाव दल के मुखिया ने अपना एक हाथ मलबे की दरारों के बीच से उस औरत तक पहुंचाया .न जाने क्यों उसे लग रहा था कि वह बेजान शरीर अब भी सांसे ले रहा है .लेकिन अनुमान के विपरीत शरीर का ठंडापन और कडापन बता रहा था कि निश्चित तौर पर वह जीवित नहीं है. वह नेता और उसके साथी नष्ट हुए मकान को छोड़ कर आगे चल पडे.फ़िर अचानक क्या हुआ कि जैसे किसी अद्र्श्य शक्ति की डोर में बंधा राहत दल का मुखिया पुन:उस घर की और मुड़ा न जाने क्यों उसे लग रहा था कि नीचे कुछ ऐसा है जिसे मदद दरकार है. उसने बड़ी मुश्किल से अपना हाथ नीचे डाला और ज़ोर से चिल्ला उठा…मदद..मदद.टीम के बाक़ी सदस्य भी अब अपने मुखिया तक पहुँच गये थे और ये देख कर हैरान थे कि नीचे उस औरत के मृत शरीर के निकट एक छोटा सा बच्चा है अपनी पवित्र मुस्कान के साथ जीवित था. बडी सावधानी से मलबा हटाते हुए उस औरत के शरीर के टुकडों को हटाया गया.माँ के ठीक सामने 2-3 माह का नवजात शिशु फूलों की छाप वाले एक सुन्दर से कंबल में लिपटा साँस ले रहा था ।
ज़ाहिर था कि उस माँ ने अपनी अंतिम श्वास तक बच्चे को बचाने की कोशिश की और उसमें क़ामयाब भी रही. एहतियात से बच्चे को बाहर निकाला गया तो कंबल में एक मोबाइल फ़ोन भी नज़र आया. राहत दल के लीडर ने मोबाइल के स्क्रीन नज़र डाली और संदेशों को खंगालने लगा.इसी दौरान एक मार्मिक संदेश पर नज़र गई जिसमें लिखा था “मेरे बच्चे यदि तुम जीवित रहते हो हमेशा याद रखना कि मैं तुम्हें प्यार करती हूं “ मुखिया ने डबडबाई आँखों से मोबाइल दूसरे राहतकर्मी को सौंप दिया. …बारी बारी से ये संदेश राहत टीम के हर सदस्य द्वारा पढा जा रहा था जो सबकी आँखें भिगो रहा था .माँ का प्यार वाक़ई ऐसा ही होता है. किसी ने सच कहा है दुनिया का सबसे छोटा शब्द है माँ ..लेकिन कितनी विराटता छुपी है न इसमें.
MUJHE KAL PHIR BACHAYA HAI KISI NADEEDA* HASTI NE MAGAR KAISE HUWA YEH MOJZA# MALUM KARNA HAI
ReplyDeleteTUJHE KUCHH YAAD HAI KAL KAB TUJHE ME YAAD AAYA THA
AE MAA MUJHE TERA WAKTE DUWA MALUM KARNA HAI
* ADRUSHYA
#CHAMATKAR
I love u Maa
ReplyDeleteबहुत मार्मिक..
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