Sunday, February 21, 2010

मालवा का वैभव बढ़ाने वाले कविवर श्री नरहरि पटेल




कुमार गंधर्व,प्रहलादसिंह टिपानिया,बालकवि बैरागी,राजेन्द्र माथुर और प्रभाष जोशी के अलावा जिस ख़ास शख़्सियत से मालवा के वैभव का पता मिलता है उनका नाम है नरहरि पटेल. अपनी बेजोड़ कविताओं और गीतों के ज़रिये वे पूरे मालवा के आदरणीय पात्र हैं.रतलाम ज़िले के छोटे से गाँव सैलाना में जन्मे नरहरिजी को विरासत में ही संगीत,नाटक और कविता का संस्कार मिला. सैलाना आज़ादी के पहले एक रियासत रहा है और वहाँ की ककड़ी और कैक्टस गार्डन की पूरी दुनिया में ख्याति है.नरहरिजी पचास के दशक में इन्दौर आए और यहाँ भी एक ऐसे मोहल्ले में आकर बसे जहाँ उस्ताद अमीर ख़ाँ,सारंगिये उस्त्ताद मुनीर ख़ाँ,तबला नवाज़ अलादिया ख़ाँ और धूलजी ख़ाँ जैसे बेजोड़ फ़नकार रहा करते थे. नरहरिजी कॉलेज के दिनों में ही प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गए जहाँ रमेश बख़्शी,शरद जोशी, चंद्रकांत देवताले,कृष्णकांत दुबे और रामविलास शर्मा जैसे प्रतिभासम्पन युवाओं की आवाजाही थी.वे बाद में जन नाट्य संघ से भी जुड़े.1957 में जब आकाशवाणी इन्दौर की शुरूआत हुई तब वे लोक कलाओं के ज्ञाता श्याम परमार की नज़र में आए और अतिथि कलाकार में रूप में इस नये रेडियो स्टेशन से जुड़ गए. बाद में उन्हें सत्येन्द्र शरत,भारतरत्न भार्गव,स्वतंत्रकुमार ओझा और प्रभु जोशी जैसे रचनाशील निर्देशकों के कई नाटकों में अपनी प्रभावी आवाज़ की सेवाएँ देने का मौक़ा मिला. आकाशवाणी इन्दौर के बच्चों के कार्यक्रम,ग्राम सभा और युववाणी कार्यक्रम में भी उनकी सक्रिय हिस्सेदारी रही.

(एक दुर्लभ चित्र में नरहरिजी(एकदम बाँये)महादेवी वर्मा और डॉ.शिवमंगलसिंह सुमन के साथ.पीछे मालवा के समर्थ कवि रमेश मेहबूब और जानेमाने पत्रकार श्रवण गर्ग.)



दिल्ली में सन 56 हुए इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन सम्मेलन में नरहरिजी की मालवी रचनाएँ सुरेन्दर और प्रकाश कौर की आवाज़ में रेकॉर्ड की गईं थीं इसी दौरान आपको जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी से मुलाक़ात का मौक़ा भी मिला और उन्होने नरहरिजी की प्रतिभा को बहुत सराहा और मुम्बई चले आने का आग्रह भी किया. नरहरिजी ने मालवी कविताओं में नये नये प्रयोग किये, ख़ास कर उन्होंने ग़ज़ल विधा में बहुत लाजवाब काम किया जिसे डॉ.शिवमंगल सिंह सुमन और मुनव्वर राना ने बहुत सराहा.
नरहरि पटेल पिचहत्तर पार आकर भी सक्रिय हैं और आज भी लिखने पढ़ने में पूरा समय देते हैं. इन्दौर और पूरे मालवा की सांस्कृतिक सरज़मीन के इस सरलमना व्यक्तित्व को हिन्दी सेवा में संलग्न एक सदी पुरातन संस्था श्री मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा श्रीनिवास जोशी सम्मान से 20 फ़रवरी को नवाज़ा. बड़ी संख्या में मौजूद संस्कृतिकर्मियों के बीच नरहरिजी को सम्मानित किया गया.मध्यप्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता आनंदमोहन माथुर,इन्दौर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.उमरावसिंह चौधरी,समिति के पदाधिकारी बसंतसिंह जौहरी,पद्मा सिंह,रामाकिशन सोमानी,वंदना जोशी और प्रकाश जोशी ने नरहरिजी का स्वागत किया. नरहरिजी ने अपनी प्रतिभावना व्यक्त करते हुए कहा कि बोली को बचाने के लिये सबसे पहले उसकी घर-आँगन में वापसी ज़रूरी होगी. नई पीढ़ी से बोल व्यवहार से ही बचेगी हमारी मीठी मालवी और उसकी सुदीर्घ विरासत.


श्रीनिवास जोशी का जन्म भी उसी बड़नगर में हुआ जहाँ कवि प्रदीप जन्मे थे. श्रीनिवासजी को मालवी के प्रथम गद्यकार होने का गौरव प्राप्त है. वे पचास के दशक में पुणे और मुम्बई चले गए और भारतीय फ़िल्म्स डिवीज़न की अनेक फ़िल्मों के लिये आलेख रचे. मालती माधव नाम की फ़िल्म बना कर श्रीनिवास जी ने उस ज़माने में लाखों का घाटा झेला. उन्होनें मीनाकुमारी अभिनीत फ़िल्म भाभी की चुड़ियाँ के संवाद भी लिखे. श्रीनिवासजी को कवि नरेन्द्र शर्मा,बालकृष्ण शर्मा नवीन और नरेश मेहता जैसे अनेक स्वनामधन्य हिन्दी सेवियों की निकटता मिली. उन्होंने सुधीर फ़ड़के निर्मित फ़िल्म वीर सावरकर के संवाद भी लिखे. वे हिन्दी,मालवी और मराठी भाषाओं पर समान अधिकार रखते थे. वारे पठ्ठा भारी करी शीर्षक से उनका निबंध बहुत सराहा गया था. चार बरस पूर्व उनके निधन के बाद जोशी परिवार ने मालवा के कला और साहित्य सेवियों को सम्मानित करने का सिलसिला शुरू किया. इसके अंतर्गत कृष्णकांत दुबे,बालकवि बैरागी और नरेन्द्रसिंह तोमर को सम्मानित किया जा चुका है. 20 फ़रवरी को सम्पन्न हुए इस जल्से में न केवल नरहरिजी सम्मानित हुए बल्कि वह ईमानदार कलाकर्म और मालवा का लोक मानस सम्मानित हुआ जिसने कभी किसी पद,यश और प्रशस्ति की कामना नहीं की. नरहरि पटेल जहाँ भी होते हैं वहाँ मालवा की सरल,भावुक,आत्मीय और निश्छल परम्परा जीवंत होती है . नरहरि दादा को हम सभी मालवावासियों का हार्दिक अभिनंदन और वंदन.

3 comments:

  1. नरहरिजी के बारे में तो जितना बताऍं उतना कम होगा। वे इस सम्‍मान के वास्‍तविक पात्र थे।
    यह सब जानकर अच्‍छा लगा। आत्‍मीय प्रसन्‍नता हुई।
    इस सबके लिए आपको साधुवाद।

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  2. "सरलमना" नरहरी दादा पर सौ प्रतिशत लागू होता है! और मालवी का दिया, मालवा में अभी तक जलने दिया - और उसकी visibility राष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंचाई, उसमे दादा का पूरा हाथ है| इस सम्मान के लिए नरहरी दादा और समस्त परिवार को हार्दिक बधाई|

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  3. आहाहाहा ...क्या सुन्दर द्रश्य है !
    आ. बापूजी जी मालवा प्रांत के गौरव ही नहीं ,
    सम्पूर्ण भारत के गौरवपूंज हैं
    - संजय भाई , आपके समस्त परिवार को
    मेरी हार्दिक मंगलकामनाएं
    भारत की वाग्देवी महामना महादेवी जी के समीप
    आ. नरहरी जी , शुव मंगल सिंह सुमन जी
    तथा हमारी वंदना आंटी जी को देख कर मन
    प्रफुल्लित हो रहा है :)
    मेरे श्रीनिवास जोशी चाचाचा जी की आज बहोत याद आयी ..
    उनकी हंसी हमेशा नयनों के सामने रहेगी --
    बहुत बहुत बधाई -
    आज सम्मान स्वयं गौरवान्वित हुआ है -
    बहुत स्नेह सहित ,
    - लावण्या

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