tag:blogger.com,1999:blog-3732921297542758245.post9019365231623500360..comments2023-04-10T14:58:15.049+05:30Comments on शब्द-निधि: दुनिया की सारी ख़राबियाँ ज़ुबान के नीचे पोशीदा हैंशब्द यात्रा की पथिकhttp://www.blogger.com/profile/06791967529879158562noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3732921297542758245.post-76475699555534820202009-12-03T13:26:51.599+05:302009-12-03T13:26:51.599+05:30पर्यावरण को ठीक करने की बड़ी बातें हो रहीं हैं आजकल...पर्यावरण को ठीक करने की बड़ी बातें हो रहीं हैं आजकल लेकिन वाणी से भी पर्यावरण बिगाड़ा जा रहा है जनाब. आपने दुखती रग पर हाथ रख दिया है. रोमन से एस.एम.एस. लिख लिख कर हम भाषा को भी प्रदूषित करते जा रहे हैं. शायद कुछ बरसों बाद अंग्रेज़ी और हाय डैड...मॉम हमारी पहचान होंगे..एक पंक्तिhttps://www.blogger.com/profile/09512951673791168585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3732921297542758245.post-14390323420267433122009-11-30T12:38:12.672+05:302009-11-30T12:38:12.672+05:30आज कल तो लोगो का वाणी पैर सयम हटता जा रहा है !
अब ...आज कल तो लोगो का वाणी पैर सयम हटता जा रहा है !<br />अब तो कबीर के दोहे को कुछ लोग इस तरहें से बोलने लगे है !<br /><br />ऐसी वाणी बोलिए, <br />मन का आपा खोल, <br />सुनने वाला सात दिन तक ,<br />सिसक सिसक कर रोये !<br /><br />अच्छा बोले अच्छा सुने !Koi Lota de mere bite hue dinhttps://www.blogger.com/profile/12568511586470410867noreply@blogger.com